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शिमला गोलीकांड में आरोपी सुनील कुमार को 10 साल का कठोर कारावास

➤ शिमला गोलीकांड में आरोपी सुनील कुमार को 10 साल का कठोर कारावास
➤ आईपीसी धारा 307 और शस्त्र अधिनियम के तहत सजा और जुर्माना
➤ 2015 में खोलीघाट बाजार में टायर जलाने के विवाद से शुरू हुआ था मामला


शिमला जिले के रामपुर बुशहर में सालों पुराने गोलीकांड मामले पर आखिरकार अदालत ने अपना बड़ा फैसला सुना दिया है। शलोग निवासी सुनील कुमार (50 वर्ष) को जिला एवं सत्र न्यायालय ने 10 साल का कठोर कारावास और 25,000 रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई है। यह फैसला आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) के तहत दिया गया है। जुर्माना न भरने पर आरोपी को एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

इसके अलावा, अदालत ने शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत भी उसे 6 महीने का कठोर कारावास और 2,000 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया है। अगर यह जुर्माना नहीं भरा जाता है तो आरोपी को 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

घटना की जड़ें 14 अप्रैल 2015 तक जाती हैं। उस दिन सुबह करीब 8 बजे खोलीघाट बाजार में सुनील कुमार का अनिल मेहता से टायर जलाने को लेकर विवाद हुआ। बात इतनी बढ़ी कि आरोपी ने पहले अनिल को डंडे से पीटा, फिर अपनी लाइसेंसी 32 बोर पिस्तौल निकालकर गोली चला दी। पहली गोली अनिल की जांघ में, दूसरी गोली उसके भाई प्रदीप मेहता की गर्दन में, और तीसरी गोली फिर अनिल के पैर में लगी।

इस सनसनीखेज मामले की जांच आईपीएस गौरव सिंह ने की थी। मुकदमे के दौरान 21 गवाहों के बयान दर्ज हुए और पूरे प्रकरण की पैरवी जिला न्यायवादी लुद्र मणी शर्मा ने की। वर्षों बाद आए इस फैसले ने पीड़ित पक्ष को कुछ हद तक राहत दी है, वहीं यह समाज के लिए भी बड़ा संदेश है कि कानून का शिकंजा भले देर से कसता हो, लेकिन कसता जरूर है।